काम का तनाव डॉक्टरों को बना रहा है बीमार

काम का तनाव डॉक्टरों को बना रहा है बीमार

सुमन कुमार

देश में अलग-अलग एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वे बताते हैं कि हाइपरटेंशन यानी उच्च रक्तचाप की बीमारी अब एक तिहाई आबादी को अपनी चपेट में ले चुकी है। इसमें से भी बड़ी आबादी को तो सालों तक यह पता ही नहीं चलता कि वे इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं। विडंबना यह है कि इस मामले में देश के सबसे जागरूक माने जाने वाले चिकित्‍सकों के तबके के भी बड़े हिस्से में यह बीमारी जड़ जमा चुकी है। 

आईएमए ने कराई जांच

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के तत्वावधान में पिछले दिनों देश के 33 शहरों में 533 डॉक्टरों की एंबुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग (एबीपीएम) के जरिये लगातार 24 घंटे तक ब्लड प्रेशर की जांच की गई और इसके नतीजे चौंकाने वाले रहे। इस तकनीक में संबंधित व्यक्ति की बांह में ब्लड प्रेशर जांचने वाला कफ बांधा जाता है जो कि उसकी कमर में बेल्ट से जुड़ी मॉनिटरिंग मशीन से जुड़ा रहता है। इसके बाद वह व्यक्ति अपने रोजमर्रा के काम करता रहता है और यह मशीन थोड़ी-थोड़ी देर पर बीपी जांचती रहती है। यह प्रक्रिया पूरे 24 घंटे चलती है और इसमें नींद के दौरान भी बीपी मापा जाता है। इसके बाद सभी रीडिंग का विश्लेषण कर यह स्‍थापित किया जाता है कि संबंधित व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की ‌शिकायत है या नहीं।

आधे डॉक्‍टर हाई बीपी के शिकार

इस अध्ययन से यह खुलासा हुआ कि जांच में शामिल 50 फीसदी फीजिशियन लगातार बीपी की दवा खाने के बावजूद अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के शिकार हैं। कुल डॉक्टरों में से 56 फीसदी रात में अनियमित रक्तचाप से ग्रस्त पाए गए जबकि 21 फीसदी डॉक्टरों का बीपी जांच के पारंपपरिक तरीके में तो सामान्य आया मगर एबीपीएम के जरिये 24 घंटे की जांच में वो रक्तचाप के मरीज पाए गए। इस स्थिति को चिकित्सीय भाषा में मास्‍क्ड हायपरटेंशन कहा जाता है और इसके शिकार लोगों को भविष्य में उच्च रक्तचाप होने का जोखिम बहुत अधिक होता है। 37 फीसदी डॉक्टर नॉक्टरनल हायपरटेंशन के शिकार थे। इस हायपरटेंशन का पारंपरिक बीपी जांच में कभी पता नहीं चलता। इन 533 डॉक्टरों का 24 घंटे के दौरान कुल मिलाकर करीब 20 हजार बार बीपी जांचा गया और तब ये नतीजे निकाले गए।

एबीपीएम तकनीक का इस्‍तेमाल क्‍यों 

आईएमए के पूर्व अध्यक्ष और देश के वरिष्ठ हृदय रोग चिकित्सक डॉक्टर के.केअग्रवाल कहते हैँ कि एबीपीएम रक्तचाप की जांच के लिए पूरी दुनिया में स्वीकृत तकनीक है और आईएमए ने देश में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ही चिकित्सकों पर इसके इस्तेमाल की योजना बनाई और इसमें जो डॉक्टर शामिल किए गए उसमें आईएमए के कई पदाधिकारी भी शामिल हैं। यह एक स्‍थापित तथ्य है कि दिन के समय के मुकाबले रात में नींद के समय जांचा गया रक्तचाप ज्यादा सटीक होता है। इसमें एबीपीएम बेहद कारगर है।

हायपरटेंशन सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉशशांक जोशी कहते हैँ कि यदि आपका रक्तचाप घर के मुकाबले क्लिनिक में ज्यादा पाया जाता है तो आपके चिकित्सक को एबीपीएम के जरिये जांच की सलाह देनी चाहिए। इसके अलावा आप बीपी की जो दवा खा रहे हैं उसका प्रभाव जांचने के लिए भी यह तकनीक इस्तेमाल की जाती है। साथ ही यह देखने के लिए कि रात में आपका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है या नहींएबीपीएम बेहद कारगर है।

बीपी पर रखें प्रभावी अंकुश

वैसे अगर आप रक्तचाप से पीड़ित हैं तो खाने में ताजे फलसब्जियांओलिव तेलओमेगा वाला खाना आपको रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करेगा। 100 फीसदी संपूर्ण अनाज या अंकुरित अनाज खाना भी अच्छा विचार है। इसके अलावा खाने में सोडियम की मात्रा कम रखें और यह न समझें कि ये सोडियम सिर्फ खाने के नमक से आता है बल्कि प्रसंस्कृत खाना मसलन फास्ट फूडचिप्सकई तरह के मिक्सचरनमकीन या बाहर रेस्तरां में मिलने वाला मसालेदार खाना आदि सोडियम का अच्छा स्रोत है इसलिए इनसे जितना दूर रहेंगे उतना अच्छा रहेगा।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।